सृजन करूँ निस नव नया, नैतिक और विशेष । लेखन करे समाज से, दूर बुराई द्वेष सृजन करूँ निस नव नया, नैतिक और विशेष । लेखन करे समाज से, दूर बुराई द्वेष
समाज का कल्याण हो राज्य और देश का उत्थान करें ! समाज का कल्याण हो राज्य और देश का उत्थान करें !
नीति-अनीति में, जो अंतर न कर पायें। वो समाज जीवन में, कुरीति ग्रस्त हो जायें। नीति-अनीति में, जो अंतर न कर पायें। वो समाज जीवन में, कुरीति ग्रस्त हो जायें।
नीति से समाज में, सबका हो कल्याण। अनीति-कुरीति का, जब हो दमन। जीवन हो खुशहाल। नीति से समाज में, सबका हो कल्याण। अनीति-कुरीति का, जब हो दमन। जीवन हो खुशहाल...
आओ घोलते चलें जीवन के मिश्रण में मिसरी सा मीठा घोल। आओ घोलते चलें जीवन के मिश्रण में मिसरी सा मीठा घोल।
इसीलिए प्रभु आप, सृजित करते हैं नारी ? इसीलिए प्रभु आप, सृजित करते हैं नारी ?